पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए एक अनुसूचित जाति वर्ग के अभ्यर्थी की प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) पद पर नियुक्ति की दावेदारी को खारिज करने को कानून का खुला उल्लंघन करार दिया है।
जस्टिस त्रिभुवन दहिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने आयोग की कार्रवाई को मनमाना और अवैध ठहराते हुए आयोग पर एक लाख रुपये की जुर्माना लगाते हुए यह राशि याचिकाकर्ता को अदा करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा- आयोग ने कानून की अनदेखी की
हाई कोर्ट ने यह आदेश पंचकूला निवासी हरभजन कुमार की याचिका को स्वीकार करते हुए जारी किया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि आयोग ने कानून की पूरी तरह अनदेखी करते हुए याचिकाकर्ता का चयन निरस्त किया, जिससे उसे अनुचित मुकदमेबाजी में घसीटा गया।
जो न केवल मानसिक उत्पीड़न बल्कि अपमानजनक भी था। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने गणित विषय में हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर रखी थी, जो कि पात्रता के लिए पर्याप्त है, जैसा कि पहले ही “सुमन बनाम हरियाणा राज्य” मामले में निर्णय हो चुका है।
कोर्ट ने सुमन केस का दिया हवाला
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए 2 फरवरी 2023 को जारी उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें उसे विषय-विशेष में हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा न होने के आधार पर एससी कोटे में नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था।
कोर्ट ने पाया कि आयोग की यह कार्रवाई पहले से मौजूद न्यायिक निर्णयों के बिल्कुल खिलाफ थी। कोर्ट ने “सुमन केस” का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा को “संबंधित विषय” में उत्तीर्ण करना अनिवार्य नहीं है और ऐसा कोई प्रावधान हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा स्कीम में नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह शर्त आयोग ने अपनी बुद्धि से जोड़ दी थी, जिसे पहले ही असंवैधानिक ठहराया जा चुका है।
हाई कोर्ट ने आयोग को दिया ये निर्देश
कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए आयोग को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता का नाम नियुक्ति के लिए अनुशंसा करें और उसे किसी रिक्त पद पर नियुक्ति प्रदान करे, बशर्ते वह अन्य सभी आवश्यक योग्यताओं को पूरा करता हो। इसके साथ ही राज्य सरकार को निर्देशित किया गया कि याचिकाकर्ता को उसी विज्ञापन के तहत नियुक्त अन्य एससी अभ्यर्थियों की तिथि से नियुक्ति प्रदान की जाए।
आयोग की कार्यप्रणाली पर उठता रहा है सवाल
पिछले कुछ महीनों से कई मामलों में हाई कोर्ट हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता रहा है व कई मामलों में जुर्माना लगाता रहा है। टीजीटी भर्ती मामले में एक मामले में हाई कोर्ट ने पिछले दिनों एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए टीजीटी उम्मीदवारों की आगे की नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि 27 जुलाई 2024 को घोषित परिणाम के आधार पर कोई भी नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने सरकार से विषय विशेषज्ञों की मूल रिपोर्ट पर विस्तृत उत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया है। उत्तर में यह स्पष्ट करना होगा कि विशेषज्ञों की नियुक्ति कैसे की गई, उनकी योग्यता क्या थी।



